नया वेष्टर्न डिस्टर्बन्स ; जाने देश में कैसा रहेगा मौसम ; स्कायमेट मौसम विशेषज्ञ महेश पलावत बताते हैं कि दिसंबर के महीने में पड़ने वाली कड़ाके की सर्दी का इंतजार अभी लंबा होता जा रहा है। हालांकि प्राकृतिक रूप से न्यूनतम तापमान में गिरावट आ रही है, लेकिन उत्तर भारत में दिन के समय अधिक अधिकतम तापमान (22 से 26 डिग्री सेल्सियस) बने रहने के कारण ठंड का वो तीव्र एहसास अभी नहीं हो रहा है। मौसम का यह मिजाज तब बदलेगा जब बारिश और कोहरे के कारण दिन का अधिकतम तापमान काफी नीचे (15-16 डिग्री) गिर जाएगा, जिसकी संभावना दिसंबर के तीसरे सप्ताह में बन रही है।
मौजूदा मौसम प्रणालियों की बात करें तो, एक के बाद एक पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) पहाड़ों की ओर बढ़ रहे हैं। पहला विक्षोभ 13 दिसंबर के आसपास और दूसरा 17-18 दिसंबर को उच्च पर्वतीय क्षेत्रों को प्रभावित करेगा, जिससे गिलगित-बाल्टिस्तान, मुजफ्फराबाद, लद्दाख, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के ऊंचे पहाड़ों पर हल्की बर्फबारी और बारिश होने की संभावना है।
वहीं, राजस्थान के ऊपर बना एक विपरीत चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र मौसम को साफ रखेगा, जिससे इस क्षेत्र में दिन का तापमान थोड़ा बढ़ सकता है। वर्तमान में न्यूनतम तापमान पहाड़ों पर माइनस में है, जबकि उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में 6 से 11 डिग्री सेल्सियस के बीच दर्ज किया जा रहा है।
स्कायमेट मौसम विशेषज्ञ के अनुसार, इस समय उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में बारिश की कोई संभावना नहीं है, क्योंकि पहाड़ों से आने वाले पश्चिमी विक्षोभों के कारण यहां पर कोई प्रेरित चक्रवाती परिसंचरण (induced cyclonic circulation) नहीं बन रहा है। इस तरह, पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव मुख्य रूप से ऊंचे पहाड़ों तक ही सीमित रहेगा, जिससे हल्की बर्फबारी ही होगी।
पश्चिमी विक्षोभों की तीव्रता और आवृत्ति में हो रही इस देरी को जलवायु परिवर्तन (Climate Change) का असर माना जा रहा है, जो चिंता का विषय है। नवंबर और दिसंबर की शुरुआत में आवश्यक ठंड न पड़ने से किसान भाइयों को रबी की फसल की पैदावार और गुणवत्ता में काफी ज्यादा नुकसान झेलना पड़ रहा है।