गेहूं की फसल में ज्यादा कल्ले और बम्पर पैदावार के लिए सही खाद ; गेहूं की फसल में बम्पर पैदावार सुनिश्चित करने के लिए, शुरुआती दिनों में सही खाद का सही समय पर उपयोग करना सबसे महत्वपूर्ण कदम है। वीडियो में बताया गया है कि एक पौधे से 200 कल्ले तक बनाने के लिए, बुवाई के 15 से 20 दिन बाद आने वाली क्राउन रूट इनिशिएशन (CRI) स्टेज पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
यह वह महत्वपूर्ण चरण है जब पौधे में नई सफेद जड़ें बननी शुरू होती हैं। यदि इस समय पौधे को भरपूर और सही पोषक तत्व दिए जाते हैं, तो जड़ का विकास मजबूत होता है, जिससे पौधा शुरू से ही ज्यादा कल्ले बनाने और बेहतर फुटाव लाने में सक्षम होता है। इसलिए, पहला पानी और पहली खाद 20 से 25 दिन के अंदर देना आवश्यक है।
पहली खाद के रूप में यूरिया (46% नाइट्रोजन) सबसे जरूरी है। यूरिया पौधे में हरियाली लाता है, जिससे पौधा अपना भोजन अच्छी तरह से बना पाता है, और यही ऊर्जा सीधे कल्ले बनाने के काम आती है। यूरिया जड़ों को मजबूत बनाने और सफेद जड़ों के विकास में भी मदद करता है। यूरिया की सही मात्रा 45 से 50 किलो प्रति एकड़ है, जिसे दो भागों में (पहला 18-25 दिन पर और दूसरा 40-45 दिन पर) देना चाहिए।
इसके अलावा, यूरिया के साथ ह्यूमिक एसिड (2 किलो प्रति एकड़) का उपयोग मिट्टी को भुरभुरा बनाकर जड़ों को गहराई तक जाने में मदद करता है, जिससे मिट्टी में पड़े पोषक तत्वों और पानी का बेहतर अवशोषण होता है, और कल्ले ज्यादा निकलते हैं।
बेहतर वृद्धि और पीलेपन की समस्या से बचने के लिए जिंक (जिंक सल्फेट 33%) को भी पहली खाद में 4 से 5 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से शामिल करना चाहिए। जिंक पौधे में हरापन बनाए रखने और भोजन निर्माण की प्रक्रिया को मजबूत करता है, जिससे कल्ले और फुटाव अच्छा होता है। इन खादों के साथ ही, गेहूं की फसल को दीमक (टरमाइट) से बचाना बहुत जरूरी है, क्योंकि यह कीट 70-80% तक फसल को नुकसान पहुंचा सकता है।
दीमक नियंत्रण के लिए, फिप्रोनिल 0.3% जीआर फॉर्मूलेशन वाला कीटनाशक (8 से 10 किलो प्रति एकड़) पहली खाद के साथ उपयोग करना प्रभावी बताया गया है, जो संपर्क और सिस्टमिक क्रिया दोनों तरह से काम करके कीटों को नियंत्रित करता है।