अगले 10 दिन मे कैसा रहेगा मौसम ; देखे IMD का अलर्ट ; इस साप्ताहिक मौसम पूर्वानुमान में विशेषज्ञ देवेंद्र त्रिपाठी ने देश भर में मौजूदा मौसम की स्थिति पर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि नवंबर और दिसंबर के महीनों में, उत्तर और मध्य भारत के कई हिस्सों (जिसमें इंदौर, रीवा, अंबिकापुर, उत्तरी उड़ीसा, तेलंगाना और कर्नाटक शामिल हैं) में न्यूनतम तापमान सामान्य से 5 से 8 डिग्री सेल्सियस तक नीचे पहुँच गया है। इसके बावजूद, आम जनता को यह महसूस हो रहा है कि इस बार सर्दी कम है। इसका कारण यह है कि दिन के समय अधिकतम तापमान सामान्य या उससे ऊपर बना हुआ है, क्योंकि आसमान साफ है और धूप का पूरा असर देखने को मिल रहा है। यह असामान्य स्थिति किसानों और आम लोगों के बीच भ्रम पैदा कर रही है, जबकि हकीकत यह है कि रात की ठंडक बनी हुई है।
फ़िलहाल मौसम में आए बदलाव के कारण कोहरे का अलर्ट जारी किया गया है, क्योंकि हवा की दिशा में परिवर्तन हुआ है और बंगाल की खाड़ी से नमी वाली हवाएँ दिल्ली और आगरा तक पहुँच रही हैं। 13 दिसंबर को हिमाचल, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के लिए पीला (येलो) अलर्ट, जबकि उत्तर प्रदेश के लिए नारंगी (ऑरेंज) अलर्ट जारी किया गया था।
उत्तरी हवाओं के कमज़ोर पड़ने और खाड़ी की नम हवाओं के प्रभाव से बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और पूर्वी उत्तर प्रदेश में ठंडक थोड़ी कम हुई है। हालांकि, शीत लहर की स्थिति छत्तीसगढ़, ओडिशा, तेलंगाना और कर्नाटक के हिस्सों तक सीमित रही। देश में कड़ाके की ठंड तब लौटेगी जब उत्तर-पश्चिमी दिशा से आने वाली ठंडी हवाएँ फिर से चलनी शुरू होंगी।
विशेषज्ञ ने बताया कि 13 दिसंबर को हरियाणा के अंबाला में मैदानी इलाकों का सबसे कम न्यूनतम तापमान 1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो दिसंबर के इस शुरुआती पखवाड़े का एक महत्वपूर्ण रिकॉर्ड हो सकता है। इस साल पश्चिमी विक्षोभ (WD) का भारत के ट्रैक से हटने और कमज़ोर पोलर वॉर्टेक्स के कारण हिमालयी क्षेत्रों में अभी तक वैसी भारी बर्फबारी नहीं हुई है जैसी आमतौर पर होती थी। हालांकि, 14, 15 और 20 दिसंबर के आसपास गिलगित-बाल्टिस्तान, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और उत्तराखंड के निचले इलाकों में कुछ हल्की बर्फबारी या वर्षा की संभावना बन रही है, जिससे मैदानी इलाकों की ओर ठंडी हवाओं का असर बाद में बढ़ सकता है।
किसानों के लिए सलाह देते हुए, विशेषज्ञ ने कहा कि अगले 10-15 दिनों में भारत के अधिकांश हिस्सों में व्यापक वर्षा की कोई बड़ी उम्मीद नहीं है। चूंकि सर्दी के मौसम की सामान्य स्थितियाँ (जैसे बादल, कोहरा और हल्की वर्षा) दिखाई नहीं दे रही हैं, इसलिए किसानों को फसलों की अच्छी वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए बारिश का इंतज़ार नहीं करना चाहिए।
यह रबी की फसलों में पहली या बहुत पहले बोई गई फसलों के लिए दूसरी हल्की सिंचाई करने का सही समय है। साथ ही, उन्होंने आगाह किया कि आने वाले दिनों में जब तापमान फिर से गिरना शुरू होगा, तो राजस्थान और हरियाणा के कुछ भागों में पाला (फ्रोस्ट) पड़ने की स्थिति बन सकती है, जिसके लिए किसानों को तैयार रहना चाहिए।